सातवें आसमान पर चलना, चल सितारों के जाल पर चलना (Saatvein aasmaan per chalna | Kumar Vishwas | Jashn e rekhta | Wo shayar Badnaam)
Saatvein aasmaan per chalna | Kumar Vishwas | Jashn e rekhta | Wo shayar Badnaam
गीत सुनिए, आज पहली बार गा रहा हूं, आपको अच्छा लगा तो ही पूरी दुनिया में गाऊंगा।
सातवें आसमान पर चलना, चल सितारों के जाल पर चलना दिल बिना देवता की काशी है (काशी में शिव हटा दो तो केवल शव रह जाता है),
जिसमें हर घाट पर उदासी है कुछ है चटका हुआ सा मुझमें भी,
तू भी कितने जन्म से प्यासी है मेरे अश्कों के ताल पर चलना,
सातवें आसमान पर चलना...
जब किसी के आंगन में पुरुषार्थ, विजय, सत्ता, शक्ति, धन, ऐश्वर्य और सामर्थ्य उतारता है, तो घर में बेटे को भेजता है, और जब त्याग, तपस्या, माया, ममता, प्रेम उतराता है तो बेटियों को उतारता है, सुनिए...
यूं रिवायत की आग में जलकर, बंदिशों वाले गांव में पलकर
तूने अनगिनत सितम उठाए हैं, रस्मों-दुनिया की राह पर चलकर
छोड़ अब दिल की चाल पर चलना, सातवें आसमान पर चलना...
तो जानेमन मैं तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूं...
यूं रिवायत की आग में जलकर, बंदिशों वाले गांव में पलकर
तूने अनगिनत सितम उठाए हैं, रस्मों-दुनिया की राह पर चलकर
छोड़ अब दिल की चाल पर चलना, सातवें आसमान पर चलना...
तो जानेमन मैं तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूं...
Thanks for your valuable comment and I'm very glad to know that you like our post as well as blog :)
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